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Showing posts from 2014

कसक

गीली रेत पर लिखा वोह नाम, नरम दुधिया चांदनी से धुला धुला सफ़ेद सीप और छोटे छोटे कंकड़, एक छोटा सा नीला कांच का टुकड़ा! मैना जैसी वह चिड़िया और शाम की ठंडी हवा के मस्त झोंके गवाह अभी भी हैं मेरी बर्बादियों के गर तुम्हे याद न हो आज !! मेज़ पर आधा बिछा हुआ मेरा तौलिया और एक गुलाब फर्श पर गिरा तुम्हारा दुपट्टा और मेरा रुमाल! चादर की सलवटें और तकिये पर काजल का निशाँ झुटलाते हैं तुम्हारी बेवफाई चाहें कोई कुछ भी कहे आज !! मेरे दिल की ख्वाहिशें तुम्हारे अधूरे जज़्बात तुम्हारी नम आँखें और मेरे बाज़ुओं का हार! ज़माने की बंदिशें, रवायतें और तुम्हारा निकाह जज़्ब करके अपने आंसूं और ज़ख्म याद करता हूँ तुम्हें आज !! बेहद याद करता हूँ तुम्हें मैं आज !!!

शब्दों के बिना

रोज़ मेरे पास शब्द चले आते थे बिन बुलाये मेहमान की तरह पर आज जब तुम पास हो मेरे शब्द नहीं मिल रहे मुझे कुछ कहने को ! क्या यूँ ही नहीं चलेगा जैसे नील गगन से अथाह गहरायी लिए नयन तुम्हारे कह जाते हैं बहुत कुछ शब्दों के बिना !!

मुझे तुम याद आती हो

जब कभी देखता हूँ सूरज को निकलते हुए, मुझे तुम याद आती हो ! जब कभी सूरज ढलता है, मुझे तुम याद आती हो !! तन जलने लगता है विरह में , मन बिखर बिखर जाता है ! कोई फुसफुसाता है एक नाम कानों में, और सब्र का प्याला छलक जाता है !! जब भी कोई बादल बरसता है मुझे तुम याद आती हो ! जब कभी सूरज ढलता है मुझे तुम याद आती हो !! कब मिला दे कब जुदा कर दे, कौन जानता है बातें किस्मत की ! मिल कर बिछड़ना , बिछड़ कर मिलना, यही तो रीत है दुनिया की !! जब भी देखता हूँ दो पंछी बिछड़ते हुए मुझे तुम याद आती हो ! जब कभी सूरज ढलता है मुझे तुम याद आती हो !! हार कर गिरते हुए को तुमने ही जीवन की राह दिखाई थी ! तुम्हारा चाँद दिनों का साथ मानो पतझर में बहार आई थी !! जब कभी बैठता हूँ किसी पेड़ की छाओं में मुझे तुम याद आती हो ! जब कभी सूरज ढलता है मुझे तुम याद आती हो !! जब कभी देखता हूँ सूरज को निकलते हुए, मुझे तुम याद आती हो ! जब कभी सूरज ढलता है, मुझे तुम याद आती हो !!

सच होते हैं सपने

सपनों  की दुनिया होती है बड़ी दिलकश  क्या क्या रंग दिखाती है ! प्यार, मोहब्बत की पिचकारी से  अंग अंग रंग जाती है !! देखो जितने सपने दिल चाहे सबके सच होने कि शर्त मत रखना ! दिल, दिमाग, बदन और आत्मा का मिलन है जितना मिल जाये उस में खुश रहना !! सच्चे मन से चाहो तो क्या नहीं है मुमकिन  कभी कभी तो गैर भी बन जाते हैं अपने ! श्वेत हृदय से माँगा था जो तुमने  तो देख लो सच होते हैं सपने !!

यह नज़दीकियां

आँसुओं से नहीं लिखी जाती तक़दीरें ख्यालों से नहीं होती पूरी तदबीरें! हसरतों को न जाने कितने पर लगा कर  मिटाईं हैं मैंने तेरे मेरे बीच की सरहदें !! तू आज किसी और की आँखों का ख्वाब सही अश्क़ सदा से है तू मेरी ही आँखों का! न जाने कितने बरस बीते हैं तेरे दीदार को अक्स तेरा अब भी हमसाया है मेरी रूह का !! बना दें जितनी भी दूरियां तुमसे यह दुनिया खींच दें कितनी भी लकीरें नक्शों पर ! कैसे जुदा कर सकेंगे तुम्हे मुझसे जब साँसे लेता हूँ मैं तेरी दिल की धड़कनो पर !! मेरे जज़्बात मेरी हसरतें मेरी गुस्ताख बेबाकियाँ अमानत हैं तुम्हारी, जो हूँ समेटे अपने आगोश में ! कहीँ किसी शहर किसी मकान में तुम ने भी फैला रखी होगी खामोशियाँ मेरी अपने आँगन में !!

चाहतों की चूड़ियाँ

चाहतों  की चूड़ियाँ पहन के आओ बैठो मेरे पास कुछ पल ! पूछें अपने दिल का हाल तुम्हारे दिल की धडकनों से हम !! बताएँ कुछ आपबीती सुने कुछ ज़बानी तुम्हारी ! पोंछे आंसूं तुम्हारे अपने होठों से साँसे मिला लें कुछ तो जी लें !! दोहराएँ वोह कसमें वोह वादे भरोसा हो मोहबत का फिर से ! चलें बादलों के ऊपर हम मिलन हो जिस्म ओ आत्मा का !! चाहतों  की चूड़ियाँ पहन के आओ बैठो मेरे पास कुछ पल ! भूल दुनिया कि रस्में बना ले आज की रात सुहागन हम !!
हर रात लेता हूँ तुम से वचन, कि न आओगे मेरे स्वप्नों में ! फिर ढूंढ़ता हूँ स्वयं हर क्षण, विचलित हो निद्रा में, यथार्थ में !! क्यूँ हो रहा हूँ इतना अधीर, ये क्या हुआ है मुझे ! तुम्हारा प्रेम पाने का विचार क्यूँ बन रहा है मेरा स्वार्थ !! चाहा था तुम्हे हृदय से -आत्मा से, फिर आँखों की ललक का क्या औचित्य !

एहसास

कल अचानक ख्याल हुआ जो देखा मैंने सराब, भूल ज़मीं क्यूँ दरकार रहती है हमें आसमां की ! एक जनम पे किलकारी, एक आखिरी हिचकी, दो साँसों की  कहानी है ज़िन्दगी इन्सान की!

खुदा की नियामत

नाज़ुक सी कली  है वोह नाज़ों से पली है वोह ! गुरुर है मेरा खज़ाना है मेरी आँखों का नूर है वोह !! हॅंसती है तो धूप खिल जाती है उदास हो तो बदरी घिर जाए ! खिलखिला कर जब डालती है गले में मेरे बाहें बागों में गुलाब खिलाती है वोह !! सुंदरता की मूरत अलंकृता है हम सब के दिल की धड़कन है ! रखे सब का ख़याल है जैसे भगवान का आशीर्वाद वोह !! आज जन्मदिन पर यही दुआ है अब मिलें दुनिया जहान कि सब खुशियां उसे ! करे हम सब का नाम रोशन पहुंचे सबसे ऊँचे मुकाम पर वोह !!

यादें

उस समय का कुछ याद है कुछ बिखर सा गया है   समय के साथ साथ कुछ  धुंधला सा गया है !! वो चेहरा और उस चेहरे पर वो मुस्कराहट गालों पर पड़ने वाले वो गढ़े और आँखों की चमक उसके बालों की लटें और उसकी हंसी की खनक ! उसके हाथों का मलमली होने का आभास गरम सांसों की खुशबु और नरम होठों की मिठास कंपकपाते बदन का अपने आप में सिमट जाना और गले से निकलती हिचकी कि आवाज़ !! रंगीन कागज़ों पर लिखी उसके दिल की तड़प ग़ज़लों और गानों में गूंजते हमारे अरमान पटरी बाज़ार से खरीदी वो सस्ती सी अंगूठी एकसाथ खाई चॉकलेट का वो कागज़ !! कल्पनाओं में बसाय वो गृहस्ती के सामान बच्चों के नाम और पर्दों दीवारों के रंग कभी न लड़ने की कसमें और मुस्कुराने के वादे कुर्ते में टांका वो बटन और गुलाब का वो फूल !! दूरियों में भी करीब होने का एहसास दिलाते वो ख़त ज़िन्दगी की मजबूरियों से हारते मेरे हालात अपनी नाकामी का इलज़ाम उसके नाम उसके टूटे दिल से निकले हुए वो अलफ़ाज़ !! उसे खो कर उन लम्हों की खामोशियाँ कसक से चीखों और फिर आंसुओं तक का मेरा सफ़र हर राह हर मंज़िल हर जगह उसे ढूंढ़ती मेरी आँखें उसकी हर निशानी लौटा देने का मलाल !!