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Showing posts from April, 2014

शब्दों के बिना

रोज़ मेरे पास शब्द चले आते थे बिन बुलाये मेहमान की तरह पर आज जब तुम पास हो मेरे शब्द नहीं मिल रहे मुझे कुछ कहने को ! क्या यूँ ही नहीं चलेगा जैसे नील गगन से अथाह गहरायी लिए नयन तुम्हारे कह जाते हैं बहुत कुछ शब्दों के बिना !!

मुझे तुम याद आती हो

जब कभी देखता हूँ सूरज को निकलते हुए, मुझे तुम याद आती हो ! जब कभी सूरज ढलता है, मुझे तुम याद आती हो !! तन जलने लगता है विरह में , मन बिखर बिखर जाता है ! कोई फुसफुसाता है एक नाम कानों में, और सब्र का प्याला छलक जाता है !! जब भी कोई बादल बरसता है मुझे तुम याद आती हो ! जब कभी सूरज ढलता है मुझे तुम याद आती हो !! कब मिला दे कब जुदा कर दे, कौन जानता है बातें किस्मत की ! मिल कर बिछड़ना , बिछड़ कर मिलना, यही तो रीत है दुनिया की !! जब भी देखता हूँ दो पंछी बिछड़ते हुए मुझे तुम याद आती हो ! जब कभी सूरज ढलता है मुझे तुम याद आती हो !! हार कर गिरते हुए को तुमने ही जीवन की राह दिखाई थी ! तुम्हारा चाँद दिनों का साथ मानो पतझर में बहार आई थी !! जब कभी बैठता हूँ किसी पेड़ की छाओं में मुझे तुम याद आती हो ! जब कभी सूरज ढलता है मुझे तुम याद आती हो !! जब कभी देखता हूँ सूरज को निकलते हुए, मुझे तुम याद आती हो ! जब कभी सूरज ढलता है, मुझे तुम याद आती हो !!

सच होते हैं सपने

सपनों  की दुनिया होती है बड़ी दिलकश  क्या क्या रंग दिखाती है ! प्यार, मोहब्बत की पिचकारी से  अंग अंग रंग जाती है !! देखो जितने सपने दिल चाहे सबके सच होने कि शर्त मत रखना ! दिल, दिमाग, बदन और आत्मा का मिलन है जितना मिल जाये उस में खुश रहना !! सच्चे मन से चाहो तो क्या नहीं है मुमकिन  कभी कभी तो गैर भी बन जाते हैं अपने ! श्वेत हृदय से माँगा था जो तुमने  तो देख लो सच होते हैं सपने !!