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मेरी नादानियाँ

पेड़ों से गिरती हुई ओस की बूँदें गालों पे मेरे जब गिरती हैं कसम है उस खुदा की तुम्हारी आँखें बहुत याद आती हैं। प्यार की कोई परिभाषा नहीं हो सकती प्यार की कोई इंतेहा कहाँ है धड़कता है जब दिल तुम्हारा धड़कन मेरे दिल की छूट जाती है। चाहा तो बहुत के लबों पे तुम्हारे हँसी सजा दूँ हमेशा के लिए यह क्या किया मैंने के हँसी संग तुम्हारी   अश्कों की संगत  साथ आती है। खुशियों की सौगात मांगी थी तुम्हारे लिए चैन की ज़िन्दगी का था शुमार हमें मैं ही बन गया वजह तुम्हारी तन्हाई का क्या क्या रंग मोहब्बत दिखलाती है।