Posts

Showing posts from August, 2018

बात बने

मेरे ख्यालों में जैसे शामिल हो तुम वैसे ही असलियत में मिल जाओ तो बात बने  औरों की जफाओं पे ज्यूँ  मुस्कुराते हो  हमारी वफाओं पे खिलखिलाओ तो बात बने 

क्या यह इश्क़ है

हैं अपने सभी आस पास मिली सब खुशियां और सब का ऐतबार यार दोस्त घर और शरीक-ए -हयात मगर फिर भी न जाने क्यों थी किसी की दरकार चैन में भी बेचैनी और कहीं किसी का इंतज़ार खूबसूरत पलों में भी था एक साया आसपास कतरा कतरा जिया था हर उम्र के संग-ए- मील को बे-फ़िक्र उड़ने का रहा लेकिन एक अधूरा ख्वाब खुदा की नेमत से मिले तुम और शुरू हुआ    कुछ नए कुछ पुराने ख्यालों का सिलसिला ज़माने से दफन ज़िंदा होते सभी अरमान अंगड़ाई ले कर जागती कुछ यादें  ज़बरन ज़ुबान पर आते भूले हुए नग्मे अपने ही बदन से आती हुई यह नयी खुशबू हर शह हर वक़्त तेरे नज़दीक होने का एहसास वो राहें वो मकान वो दरख़्त जहाँ से शुरू हुआ था सफर लौट कर वहीँ पहुँच जाने पर वो हैरत भरी मुस्कराहट दूर कहीं से पुकारते दो अजनबी जो शायद हम ही हैं उन दिनों की तस्वीर खींच रहे हैं दिल के तार पुराने रिश्तों को नयी निगाह से देखते नए रिश्तों को पुराना जामा पहनाते हुए अजीब कश्मकश सी है पर है सुकून भरी गुदगुदा रही है हर लम्हा और बुन रही है एक नयी दास्तान  यह इश्क़ नहीं तो और क्या है ?