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Showing posts from 2018

मुलाकात

तुमको देखते ही छूटने वाली धड़कन याद रहेगी मुझे  सालों के बाद हुई जो वोह मुलाकात याद रहेगी मुझे ! मुस्कुरा के तुम्हारा वोह देखना अब भी कर देते हैं हलचल दिल में  तुम्हारे होठों से निकले शब्द मानो फूल बरस रहें हो बगिया में ! मुझे मदहोश कर देने वाली तुम्हारी छवि याद रहेगी मुझे  सालों के बाद हुई जो वोह मुलाकात याद रहेगी मुझे !! कब से सोचा था कि दो बातें कर के दिल हल्का कर लूंगा  सचाई बता कर विश्वास दिलाकर वापस तुम्हे बुला ही लूंगा ! आँखों से कही थी जो वोह बात याद रहेगी मुझे  सालों के बाद हुई जो वोह मुलाकात याद रहेगी मुझे !! तुम्हारी ज़िन्दगी में जो आया है कोई दूसरा  मन की बेचैनी और तड़प बढ़ा गया है मेरा ! किसी और से प्यार और मुझ से की जो बेवफाई वोह याद रहेगी मुझे  सालों के बाद हुई जो वोह मुलाकात याद रहेगी मुझे !! कुछ देर का वोह साथ बढ़ा गया है मेरी परेशानी  मन को शांत कैसे करूँ कि प्यार में ढल्ल गयी है मेरी ज़िंदगानी ! सुलगते शोलों को हवा देने की सौगात याद रहेगी मुझे  सालों के बाद हुई जो वोह मुलाकात याद रहेगी मुझे !! खुदा से मांगते हुए तुम्हे जुबां मे

वफ़ा

जुदाई के कांटे जो दिल में चुभो गए वही बेवफा ऐशो आराम से जीने की सलाह दे गए जा रही तो जो कश्ती तूफ़ान में भी सलामत दूसरी कश्ती में बैठ उस कश्ती को साहिल पे डुबो गए ! मुहब्बत और विशवास की शिकायत कर इंतज़ार में तड़पता और तनहा छोड़ गए वफ़ा और वादापरस्ती गर इसी का नाम है कुमार तो शायद खुदा सारे बेवफा अपने साथ ले गए !!

शायद वोह आये हैं

फ़िज़ाओं में एक ताज़गी सी हैं हवाओं में एक खुशबू सी है पत्तों में सरसराहट नयी नयी सी है शायद वोह आये हैं ! दिल में बजता है जलतरंग कलियाँ भी लहरा उठी हैं छलकने लगे हैं नदियों के किनारे शायद वोह मुस्कुराये हैं ! उड़ बैठा है काली पर भंवरा शमा से परवाना टकराया है लिपटी बेल गिरी है पेड़ से शायद वोह घबराये हैं ! जा छुपा है चाँद बदली में किरणों ने भी आँचल ओढ़ा है सिमटने लगी हैं पत्तियां अपने आप में शायद वोह शर्माए हैं !

सुनो ऐ सनम

सुनो ऐ सनम चलते चलते जिस मुकाम पे आ गए हैं आज हम क्या यही चाहा था हमने क्या इसी के ख्वाहिशमंद थे हम सुनो ऐ सनम ! हम ने तो सोचा था की तुम होगी हम होंगे और होगा हमारा घर वक़्त ने क्या दिखाए करिश्मे न तुम तुम रहे न हम हम सुनो ऐ सनम ! तुम नज़र से दूर क्या हुए हमें दिल से दूर कर दिया तुम फासले बढ़ाते गए खाइयां पाटते रहे हम सुनो ऐ सनम ! मिलने की तुमसे हसरत थी बहुत दिल के हालात सुनाने थे हमें कभी मौका न मिला गर मिला भी तो कुछ कह न सके हम सुनो ऐ सनम ! ज़िन्दगी के लिए कुछ करना ज़रूरी है मरने के लिए जीना ज़रूरी है कस्मे वादे प्यार वफ़ा मेहबूब और कलम छोड़ बन्दूक उठा चले हम सुनो ऐ सनम ! आखिरी ख्वाहिश पूरी हुई तुमसे मुलाक़ात भी हुई ज़रूर आँखों की भाषा समझे हो तो है ज़बान से तो कुछ कह न सके हम सुनो ऐ सनम ! आज जब चले हैं हम आखिरी मंज़र की ओर डोला उठता दिख रहा है तुम्हारा कभी हो सके तो मुड़ कर देख लेना शहीदों में नाम लिखा रहे होंगे हम सुनो ऐ सनम !!

हालात

तन्हाइयों में अक्सर गुम हो जाता हूँ अपने आंसूं खुद ही पी जाता हूँ तुम कहीं रुसवा न हो जाओ ए दोस्त यही सोच कर चुप हो जाता हूँ ! जब भी सुनता हूँ नाम तेरा दिल यह भर ही जाता है देख न पाने की तड़प इतनी होती है बेबसी की हदें पार कर जाता हूँ ! तुम हो किसी और की बाँहों में मेरे तो दिल और हाथ दोनों खाली हैं जब उन शामों की याद आती है इन शामों में अक्सर रो जाता हूँ ! वोह सड़कें वोह मोड़ वोह मुकाम अभी भी नाम पुकारते हैं हमारा जाना होता है कहीं और पर लौट लौट वहीँ पहुँच जाता हूँ ! लौटा दी हैं सब निशानियां यादों को कैसे लौटाऊँ मैं जब आती है कोई तारीख यादों से तेरी टकरा जाता हूँ !!

इस बार

 मैं और तुम मानो रेल की दो पटरियां चलते रहे हमेशा समांतर मिले भी तो फिर राह बदल ली और गुज़रती रहीं किसी रेल सी हम पर यह परिस्थितियां हर बार हम रहे प्रतीक्षा में अगली रेल की ! किसी गंतव्य पर पहुँच कर तुम रुकी भी अगर न चाहते हुए भी रुक पाया मैं दूसरे प्लेटफार्म पर कितना विवश हो जाता था मैं जब गुज़रती थी एक जैसी रेल हम दोनों पर मैं और तुम मिले जो अगली बार राह बदलने की जगह बन जायेंगे एक ही पटरी हम !!

जाने क्या होगा

शाम धुआं धुआं है रात भीगी भीगी सी है सुबह का अंजाम जाने क्या होगा ! साँसों में घुटन है धड़कनो में है डर दिल का मेरे हाल जाने क्या होगा ! किस कदर बेकरारी है आँखों में नमी और दिल भारी है इन आहों का असर जाने क्या होगा ! रंगीनियों में स्याही है आबादियों में है वीरानी सुलझे ख्यालों का सबब जाने क्या होगा ! ख्यालों में मिलते हैं बदन में हैं फासले मिलन और जुदाई का फर्क जाने क्या होगा !  शाम धुआं धुआं है रात भीगी भीगी सी है सांस रही गर तो सुबह रौशनी का खज़ाना होगा !!

ज़िंदा हूँ मैं

क़त्ल हुआ है मेरा पर मौत नहीं आयी ख्यालों को मेरे कैसे मार सकोगे तुम ! कहते कहते ज़बान मेरी थकी नहीं है अभी लफ़्ज़ों की ताकत को कैसे दबा सकोगे तुम ! कर दो मुहं बंद मेरा दबा दो मेरी चीखे भी आँख से गिरते लहू को कैसे रोक सकोगे तुम ! आँखे बंद हैं मेरी दिल के दरवाज़े खुले हैं इन रास्तों पर जज़्बातों का आना कैसे बंद कर सकोगे तुम ! कर लिया है ग़मों से समझौता दबा लिए हैं अरमान भी दिल से निकलती आह को कहाँ सुन सकोगे तुम !

क्या हुआ जाता है

इन पानी की गिरती बूंदों में तुम्हारा ही नाम नज़र आता है हवा का हर नया झोंका मुझ तक तुम्हारा ही पैगाम लाता है ! मिटटी से निकलती महकती खुशबू तुमसे नज़दीकियों का राज़ बताती है पश्चिम की लाली से बादल तुम्हारे ही गालों का रंग बताता है ! कड़कड़ाती हुई बिजली जब गिरती है तुम्हारी जवानी का हाल सुनाती है यह दरख़्त झुक झुक कर तुम्हारा ही सलाम पहुंचाता है !!

तुम पर मरते हैं

मैं शराबी तो न था कभी पर देखी जो तुम्हारी आँखों की मस्ती कदम बहक जाते हैं मेरे ऐसा अक्सर लोग कहते हैं ! होली पर उड़ता है गुलाल चित्रकार की कूची पर भी है रंग असली लाल रंग तो मगर सिर्फ तुम्हारे गालों पर रहते हैं ! रंग बिरंगे फूल बहुत देखे पर कोई भी रास न आया इन गुलाबी नाज़ुक होठों पर हमेशा कमल के फूल जो खिले रहते हैं ! पतली उँगलियों ने किया जादू भूल गए हम सभी की बाहें हाथों में हाथ रखे रहना हमारे सिर्फ इसी अरमान पे जीते हैं ! कितने ही बदन थिरकते हैं यहां तुम्हारी कंचन काया का कहाँ जवाब तुम, तुम और बस तुम सिर्फ यही तमन्ना करते हैं ! सब को देख लिया सब को परख लिया  कोई मन का मीत न  मिला तुम्हारी सुरीली आवाज़ पर हुए फ़िदा सिर्फ तुम पर मरते हैं !!

कौन है वोह

अनजानी सी है यह धड़कन फिर भी बहुत प्यारी सी लग रही है कौन है वोह जिसने चुरा लिया है मेरे दिल से मेरी धड़कनो को ! अच्छा लगने लगा है हर शख्स हर शिकवा शिकायत मिट गयी है कौन है वोह जिसने बदल दिया है खुशियों से मेरे ग़म के ख़ज़ाने को ! पड़ते नहीं हैं कदम ज़मीन पर होठों पे हंसी खिली रहती है कौन है वोह जिसने सोख लिया है लबों से मेरी आँखों के हर अश्क को ! एक खुशबू सी फैल जाती है यूँ फिज़ाओं में ताज़गी सी आ गयी है कौन है वोह जिसने बना दिया है गुलशन मेरी ज़िन्दगी के वीराने को ! तुम ही तुम दिखती हो अब तो डूब गया हूँ तुम्हारे प्यार की झील में तुम ही तो हो वोह  जिसने खरीद लिया है प्यार से मेरे जिस्म ओ जान को !! 

आपने

नज़रें इनायत भरी इस तरफ जो की आपने  गुंचा गुंचा खिल उठा डाली डाली महकाई आपने ! सारे गुलशन की खुशबू साँसों में बिखराई आपने  जब भी अपने होठों की कली मेरे होठों से मिलाई आपने !! कहाँ था कल तक मैं आ पहुंचा हूँ कहाँ आज  हर शख्स यही कह रहा है मेरी किस्मत बदल दी आपने ! हर बाजी जीत गया शिकवा रहा न कोई अब  पतझड़ को बहार बनाया यह कैसी हवा चलाई आपने !! ज़माना स्याह सफ़ेद था रंगीनियां बिखराई आपने  जिस दिन से दिल में मेरे अपनी तस्वीर बसाई आपने ! ठोकरों को ठुकरा दिया मेरी हस्ती ने उस मोड़ से  जिस मोड़ से ज़िन्दगी के हर राह मुझे दिखाई आपने !! होठों पे हंसी आँखों में नमी दीवानावार हाल हुआ है मेरा  प्यार भरी बांसुरी की धुन जब से सुनाई आपने ! मुस्कुराता हूँ फिर तड़पता हूँ इंतज़ार हर पल करता हूँ  हमारी खूबसूरत ज़िन्दगी की ऐसी हसीं तस्वीर बनाई आपने !! आपकी वफ़ा के सहारे ही इस मुकाम तक पहुंचा हूँ मेरी जान  ज़िन्दगी के सही मायने पता चले इस कदर मुहब्बत मुझसे की आपने !!

बात बने

मेरे ख्यालों में जैसे शामिल हो तुम वैसे ही असलियत में मिल जाओ तो बात बने  औरों की जफाओं पे ज्यूँ  मुस्कुराते हो  हमारी वफाओं पे खिलखिलाओ तो बात बने 

क्या यह इश्क़ है

हैं अपने सभी आस पास मिली सब खुशियां और सब का ऐतबार यार दोस्त घर और शरीक-ए -हयात मगर फिर भी न जाने क्यों थी किसी की दरकार चैन में भी बेचैनी और कहीं किसी का इंतज़ार खूबसूरत पलों में भी था एक साया आसपास कतरा कतरा जिया था हर उम्र के संग-ए- मील को बे-फ़िक्र उड़ने का रहा लेकिन एक अधूरा ख्वाब खुदा की नेमत से मिले तुम और शुरू हुआ    कुछ नए कुछ पुराने ख्यालों का सिलसिला ज़माने से दफन ज़िंदा होते सभी अरमान अंगड़ाई ले कर जागती कुछ यादें  ज़बरन ज़ुबान पर आते भूले हुए नग्मे अपने ही बदन से आती हुई यह नयी खुशबू हर शह हर वक़्त तेरे नज़दीक होने का एहसास वो राहें वो मकान वो दरख़्त जहाँ से शुरू हुआ था सफर लौट कर वहीँ पहुँच जाने पर वो हैरत भरी मुस्कराहट दूर कहीं से पुकारते दो अजनबी जो शायद हम ही हैं उन दिनों की तस्वीर खींच रहे हैं दिल के तार पुराने रिश्तों को नयी निगाह से देखते नए रिश्तों को पुराना जामा पहनाते हुए अजीब कश्मकश सी है पर है सुकून भरी गुदगुदा रही है हर लम्हा और बुन रही है एक नयी दास्तान  यह इश्क़ नहीं तो और क्या है ?

अक्स

कभी कभी इन सफ़ेद दीवारों में एक अक्स उभरता है जो बुलाता है मुझे, प्यार से देखता है मुझे ! बाहर चाँदनी में उसके लहराते केश गालों को सहलाते हैं मेरे! मैं हाथ बढ़ाता हूँ और उसे छूने की कोशिश में अपने ही बदन को छु जाता हूँ! क्या गलत करता हूँ मैं ? वह मेरा ही तो अक्स है, मैं उसका ही तो दूसरा रूप हूँ ! एक दूसरे में समाये हुए हम दोनों क्या अलग हुए हैं कभी? क्या आत्मा से सृष्टि, सृष्टि से जीवन और जीवन से दर्शन निकलना संभव है ? फासलों ने मुझे कभी हतोत्साहित नहीं किया, इन फासलों से प्यार के माने पता चले हैं! आओ हम इन फासलों को भी ख़तम कर दें, और बता दें दुनिया को कि  प्यार क्या है !!

CRITICIZING THE INDIAN ARMY IN KASHMIR MEANS YOU ARE SUPPORTING ANTI-NATIONALS/PRO PAKISTAN ELEMENTS

1.          At the time of independence India was a loose association of states including those ruled by monarchs like Maharaja Hari Singh in Kashmir. Like other princely states e.g. Hyderabad and Junagarh, Kashmir was included into the union of India through an instrument of accession. The reasons and backgrounds for various monarchs opting to join India as a nation were varied including the one of military threat by Tribals backed by Pakistan Army in 1947 in Kashmir. As per constitution of India all states are integral part of the nation and therefore must follow the constitution in letter and spirit. Some concessions were granted through Article 370 to Jammu and Kashmir which do not dilute the fact that Kashmir is an integral part of India as a nation. 2.          Pakistan however has continued to forment trouble in Kashmir through direct and indirect actions. Part of its actions emerge from its own insecurities and part from urge to avenge humiliating defeats in 1947, 1965,

वो मुलाकात

तुमको देखते ही छूटने वाली धड़कन याद रहेगी मुझे सालों के बाद हुई जो मुलाकात वो याद रहेगी मुझे ! मुस्कुरा के तुम्हारा वो देखना अब भी कर देते हैं हलचल दिल में तुम्हारे होठों से निकले शब्द मानो फूल बरस रहे हों बगिया में ! मुझे मदहोश कर देने वाली तुम्हारी छवि याद  रहेगी  मुझे सालों के बाद हुई जो मुलाकात वो याद रहेगी मुझे !! कब से सोचा था कि दो बातें कर दिल हल्का कर लूंगा सचाई बता कर विश्वास दिला कर वापस तुम्हे बुला लूंगा ! आँखों से कही थी जो बात वो याद रहेगी मुझे सालों के बाद हुई जो मुलाकात वो याद रहेगी मुझे !! कुछ देर का वो साथ बढ़ा गया है मेरी परेशानी मन को शांत कैसे करूँ कि प्यार में ढल गयी है मेरी ज़िंदगानी ! सुलगते शोलों को हवा देने की सौगात याद रहेगी मुझे सालों के बाद हुई जो मुलाकात वो याद रहेगी मुझे !! खुदा से मांगते हुए तुम्हे ज़बान मेरी थकती नहीं औरों की तरह मैंने तो दिल औ निगाह बदली नहीं ! हमेशा रहने वाली तुम्हारी इन्तेज़ारी याद रहेगी मुझे सालों के बाद हुई जो मुलाकात वो याद रहेगी मुझे !! चाहें तुम मुझे भूल गयी हो मैं तो नहीं भूला तुम्हे हमेशा से किया है और करता

जीना चाहता हूँ मैं

ज़िन्दगी की किताब के पन्ने सूख कर हुए थे जो ज़र्फ़ भीगी पलकों से गिरा एक कतरा सुर्ख फूलों सा खिला गया ! चाहता हूँ रख दूँ यह पन्ने सामने तुम्हारे नूर ऐ नज़र कि फिर से वोह दिन जीना चाहता हूँ मैं !!

खत

अपने दिल की कलम से दर्द की स्याही में डुबो कर बेबसी के कागज़ पे बिखराया था अपनी मजबूरियों का फ़साना तुमसे की बेवफाई का सबब और अपनी रुस्वाइयों का ज़िक्र ! ज़माने से परेशान अपनी नाकामयाबियों से झूझते तुमसे दूर तुम्हारी यादों को संभालते कभी हँसते और कभी रोते समेटे थे जिसमे कुछ अलफ़ाज़ कुछ नग्मे और कुछ यूँ ही बिना लिखे सलाम जाने क्यों नहीं मिला तुम्हे वोह खत जो लिखा था हमने !!

गीली साँसें

आँखों की नमी दिल की तड़प को दबा लिया जब उनसे बाबस्ता हुए हम ! होठों की मुस्कान और गीली साँसे मगर इज़हार ए मोहब्बत रोक न पाईं !