क्या हुआ जाता है

इन पानी की गिरती बूंदों में
तुम्हारा ही नाम नज़र आता है
हवा का हर नया झोंका मुझ तक
तुम्हारा ही पैगाम लाता है !

मिटटी से निकलती महकती खुशबू
तुमसे नज़दीकियों का राज़ बताती है
पश्चिम की लाली से बादल
तुम्हारे ही गालों का रंग बताता है !

कड़कड़ाती हुई बिजली जब गिरती है
तुम्हारी जवानी का हाल सुनाती है
यह दरख़्त झुक झुक कर
तुम्हारा ही सलाम पहुंचाता है !!






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