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Showing posts from September, 2018

मुलाकात

तुमको देखते ही छूटने वाली धड़कन याद रहेगी मुझे  सालों के बाद हुई जो वोह मुलाकात याद रहेगी मुझे ! मुस्कुरा के तुम्हारा वोह देखना अब भी कर देते हैं हलचल दिल में  तुम्हारे होठों से निकले शब्द मानो फूल बरस रहें हो बगिया में ! मुझे मदहोश कर देने वाली तुम्हारी छवि याद रहेगी मुझे  सालों के बाद हुई जो वोह मुलाकात याद रहेगी मुझे !! कब से सोचा था कि दो बातें कर के दिल हल्का कर लूंगा  सचाई बता कर विश्वास दिलाकर वापस तुम्हे बुला ही लूंगा ! आँखों से कही थी जो वोह बात याद रहेगी मुझे  सालों के बाद हुई जो वोह मुलाकात याद रहेगी मुझे !! तुम्हारी ज़िन्दगी में जो आया है कोई दूसरा  मन की बेचैनी और तड़प बढ़ा गया है मेरा ! किसी और से प्यार और मुझ से की जो बेवफाई वोह याद रहेगी मुझे  सालों के बाद हुई जो वोह मुलाकात याद रहेगी मुझे !! कुछ देर का वोह साथ बढ़ा गया है मेरी परेशानी  मन को शांत कैसे करूँ कि प्यार में ढल्ल गयी है मेरी ज़िंदगानी ! सुलगते शोलों को हवा देने की सौगात याद रहेगी मुझे  सालों के बाद हुई जो वोह मुलाकात याद रहेगी मुझे !! खुदा से मांगते हुए तुम्हे जुबां मे

वफ़ा

जुदाई के कांटे जो दिल में चुभो गए वही बेवफा ऐशो आराम से जीने की सलाह दे गए जा रही तो जो कश्ती तूफ़ान में भी सलामत दूसरी कश्ती में बैठ उस कश्ती को साहिल पे डुबो गए ! मुहब्बत और विशवास की शिकायत कर इंतज़ार में तड़पता और तनहा छोड़ गए वफ़ा और वादापरस्ती गर इसी का नाम है कुमार तो शायद खुदा सारे बेवफा अपने साथ ले गए !!

शायद वोह आये हैं

फ़िज़ाओं में एक ताज़गी सी हैं हवाओं में एक खुशबू सी है पत्तों में सरसराहट नयी नयी सी है शायद वोह आये हैं ! दिल में बजता है जलतरंग कलियाँ भी लहरा उठी हैं छलकने लगे हैं नदियों के किनारे शायद वोह मुस्कुराये हैं ! उड़ बैठा है काली पर भंवरा शमा से परवाना टकराया है लिपटी बेल गिरी है पेड़ से शायद वोह घबराये हैं ! जा छुपा है चाँद बदली में किरणों ने भी आँचल ओढ़ा है सिमटने लगी हैं पत्तियां अपने आप में शायद वोह शर्माए हैं !

सुनो ऐ सनम

सुनो ऐ सनम चलते चलते जिस मुकाम पे आ गए हैं आज हम क्या यही चाहा था हमने क्या इसी के ख्वाहिशमंद थे हम सुनो ऐ सनम ! हम ने तो सोचा था की तुम होगी हम होंगे और होगा हमारा घर वक़्त ने क्या दिखाए करिश्मे न तुम तुम रहे न हम हम सुनो ऐ सनम ! तुम नज़र से दूर क्या हुए हमें दिल से दूर कर दिया तुम फासले बढ़ाते गए खाइयां पाटते रहे हम सुनो ऐ सनम ! मिलने की तुमसे हसरत थी बहुत दिल के हालात सुनाने थे हमें कभी मौका न मिला गर मिला भी तो कुछ कह न सके हम सुनो ऐ सनम ! ज़िन्दगी के लिए कुछ करना ज़रूरी है मरने के लिए जीना ज़रूरी है कस्मे वादे प्यार वफ़ा मेहबूब और कलम छोड़ बन्दूक उठा चले हम सुनो ऐ सनम ! आखिरी ख्वाहिश पूरी हुई तुमसे मुलाक़ात भी हुई ज़रूर आँखों की भाषा समझे हो तो है ज़बान से तो कुछ कह न सके हम सुनो ऐ सनम ! आज जब चले हैं हम आखिरी मंज़र की ओर डोला उठता दिख रहा है तुम्हारा कभी हो सके तो मुड़ कर देख लेना शहीदों में नाम लिखा रहे होंगे हम सुनो ऐ सनम !!

हालात

तन्हाइयों में अक्सर गुम हो जाता हूँ अपने आंसूं खुद ही पी जाता हूँ तुम कहीं रुसवा न हो जाओ ए दोस्त यही सोच कर चुप हो जाता हूँ ! जब भी सुनता हूँ नाम तेरा दिल यह भर ही जाता है देख न पाने की तड़प इतनी होती है बेबसी की हदें पार कर जाता हूँ ! तुम हो किसी और की बाँहों में मेरे तो दिल और हाथ दोनों खाली हैं जब उन शामों की याद आती है इन शामों में अक्सर रो जाता हूँ ! वोह सड़कें वोह मोड़ वोह मुकाम अभी भी नाम पुकारते हैं हमारा जाना होता है कहीं और पर लौट लौट वहीँ पहुँच जाता हूँ ! लौटा दी हैं सब निशानियां यादों को कैसे लौटाऊँ मैं जब आती है कोई तारीख यादों से तेरी टकरा जाता हूँ !!

इस बार

 मैं और तुम मानो रेल की दो पटरियां चलते रहे हमेशा समांतर मिले भी तो फिर राह बदल ली और गुज़रती रहीं किसी रेल सी हम पर यह परिस्थितियां हर बार हम रहे प्रतीक्षा में अगली रेल की ! किसी गंतव्य पर पहुँच कर तुम रुकी भी अगर न चाहते हुए भी रुक पाया मैं दूसरे प्लेटफार्म पर कितना विवश हो जाता था मैं जब गुज़रती थी एक जैसी रेल हम दोनों पर मैं और तुम मिले जो अगली बार राह बदलने की जगह बन जायेंगे एक ही पटरी हम !!

जाने क्या होगा

शाम धुआं धुआं है रात भीगी भीगी सी है सुबह का अंजाम जाने क्या होगा ! साँसों में घुटन है धड़कनो में है डर दिल का मेरे हाल जाने क्या होगा ! किस कदर बेकरारी है आँखों में नमी और दिल भारी है इन आहों का असर जाने क्या होगा ! रंगीनियों में स्याही है आबादियों में है वीरानी सुलझे ख्यालों का सबब जाने क्या होगा ! ख्यालों में मिलते हैं बदन में हैं फासले मिलन और जुदाई का फर्क जाने क्या होगा !  शाम धुआं धुआं है रात भीगी भीगी सी है सांस रही गर तो सुबह रौशनी का खज़ाना होगा !!

ज़िंदा हूँ मैं

क़त्ल हुआ है मेरा पर मौत नहीं आयी ख्यालों को मेरे कैसे मार सकोगे तुम ! कहते कहते ज़बान मेरी थकी नहीं है अभी लफ़्ज़ों की ताकत को कैसे दबा सकोगे तुम ! कर दो मुहं बंद मेरा दबा दो मेरी चीखे भी आँख से गिरते लहू को कैसे रोक सकोगे तुम ! आँखे बंद हैं मेरी दिल के दरवाज़े खुले हैं इन रास्तों पर जज़्बातों का आना कैसे बंद कर सकोगे तुम ! कर लिया है ग़मों से समझौता दबा लिए हैं अरमान भी दिल से निकलती आह को कहाँ सुन सकोगे तुम !

क्या हुआ जाता है

इन पानी की गिरती बूंदों में तुम्हारा ही नाम नज़र आता है हवा का हर नया झोंका मुझ तक तुम्हारा ही पैगाम लाता है ! मिटटी से निकलती महकती खुशबू तुमसे नज़दीकियों का राज़ बताती है पश्चिम की लाली से बादल तुम्हारे ही गालों का रंग बताता है ! कड़कड़ाती हुई बिजली जब गिरती है तुम्हारी जवानी का हाल सुनाती है यह दरख़्त झुक झुक कर तुम्हारा ही सलाम पहुंचाता है !!

तुम पर मरते हैं

मैं शराबी तो न था कभी पर देखी जो तुम्हारी आँखों की मस्ती कदम बहक जाते हैं मेरे ऐसा अक्सर लोग कहते हैं ! होली पर उड़ता है गुलाल चित्रकार की कूची पर भी है रंग असली लाल रंग तो मगर सिर्फ तुम्हारे गालों पर रहते हैं ! रंग बिरंगे फूल बहुत देखे पर कोई भी रास न आया इन गुलाबी नाज़ुक होठों पर हमेशा कमल के फूल जो खिले रहते हैं ! पतली उँगलियों ने किया जादू भूल गए हम सभी की बाहें हाथों में हाथ रखे रहना हमारे सिर्फ इसी अरमान पे जीते हैं ! कितने ही बदन थिरकते हैं यहां तुम्हारी कंचन काया का कहाँ जवाब तुम, तुम और बस तुम सिर्फ यही तमन्ना करते हैं ! सब को देख लिया सब को परख लिया  कोई मन का मीत न  मिला तुम्हारी सुरीली आवाज़ पर हुए फ़िदा सिर्फ तुम पर मरते हैं !!

कौन है वोह

अनजानी सी है यह धड़कन फिर भी बहुत प्यारी सी लग रही है कौन है वोह जिसने चुरा लिया है मेरे दिल से मेरी धड़कनो को ! अच्छा लगने लगा है हर शख्स हर शिकवा शिकायत मिट गयी है कौन है वोह जिसने बदल दिया है खुशियों से मेरे ग़म के ख़ज़ाने को ! पड़ते नहीं हैं कदम ज़मीन पर होठों पे हंसी खिली रहती है कौन है वोह जिसने सोख लिया है लबों से मेरी आँखों के हर अश्क को ! एक खुशबू सी फैल जाती है यूँ फिज़ाओं में ताज़गी सी आ गयी है कौन है वोह जिसने बना दिया है गुलशन मेरी ज़िन्दगी के वीराने को ! तुम ही तुम दिखती हो अब तो डूब गया हूँ तुम्हारे प्यार की झील में तुम ही तो हो वोह  जिसने खरीद लिया है प्यार से मेरे जिस्म ओ जान को !! 

आपने

नज़रें इनायत भरी इस तरफ जो की आपने  गुंचा गुंचा खिल उठा डाली डाली महकाई आपने ! सारे गुलशन की खुशबू साँसों में बिखराई आपने  जब भी अपने होठों की कली मेरे होठों से मिलाई आपने !! कहाँ था कल तक मैं आ पहुंचा हूँ कहाँ आज  हर शख्स यही कह रहा है मेरी किस्मत बदल दी आपने ! हर बाजी जीत गया शिकवा रहा न कोई अब  पतझड़ को बहार बनाया यह कैसी हवा चलाई आपने !! ज़माना स्याह सफ़ेद था रंगीनियां बिखराई आपने  जिस दिन से दिल में मेरे अपनी तस्वीर बसाई आपने ! ठोकरों को ठुकरा दिया मेरी हस्ती ने उस मोड़ से  जिस मोड़ से ज़िन्दगी के हर राह मुझे दिखाई आपने !! होठों पे हंसी आँखों में नमी दीवानावार हाल हुआ है मेरा  प्यार भरी बांसुरी की धुन जब से सुनाई आपने ! मुस्कुराता हूँ फिर तड़पता हूँ इंतज़ार हर पल करता हूँ  हमारी खूबसूरत ज़िन्दगी की ऐसी हसीं तस्वीर बनाई आपने !! आपकी वफ़ा के सहारे ही इस मुकाम तक पहुंचा हूँ मेरी जान  ज़िन्दगी के सही मायने पता चले इस कदर मुहब्बत मुझसे की आपने !!