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मेरा ख़याल

खुलकर मुस्कुराओ रौनक बढ़ाओ ज़िन्दगी के उतार चढ़ाव भूल जाने दो! अंधेरों को खींच कर पीछे रौशनी को बाहर फैल जाने दो !! कहीं जिस्म है टूटता आत्मा कहीं है लहूलुहान! दिलों में न रखो समंदर आँखों से दरिया बह जाने दो!! अंधेरों को खींच कर पीछे रौशनी को बाहर फैल जाने दो !! किस ने क्या कहा किस ने क्या किया क्यों करें परवाह इसकी हम! दिल की सुनो दिल की कहो बाकी सब भूल जाने दो!! अंधेरों को खींच कर पीछे रौशनी को बाहर फैल जाने दो !! कुछ लोग छोड़ गए साथ कुछ रिश्ते नए हैं अभी! क्या मेरा क्या तेरा जज़्बातों की दौलत लुटा जाने दो!! अंधेरों को खींच कर पीछे रौशनी को बाहर फैल जाने दो !! आएंगे कई नए मुकाम अभी मुश्किलों से भरे कितने रास्ते भी! है अगर दिल में भरोसा और होठों पे मुस्कान इम्तिहान ढेरों हो जाने दो!! अंधेरों को खींच कर पीछे रौशनी को बाहर फैल जाने दो !!