शब्दों के बिना
रोज़ मेरे पास शब्द चले आते थे
बिन बुलाये मेहमान की तरह
पर आज जब तुम पास हो मेरे
शब्द नहीं मिल रहे मुझे कुछ कहने को !
क्या यूँ ही नहीं चलेगा जैसे
नील गगन से अथाह गहरायी लिए नयन तुम्हारे
कह जाते हैं बहुत कुछ शब्दों के बिना !!
बिन बुलाये मेहमान की तरह
पर आज जब तुम पास हो मेरे
शब्द नहीं मिल रहे मुझे कुछ कहने को !
क्या यूँ ही नहीं चलेगा जैसे
नील गगन से अथाह गहरायी लिए नयन तुम्हारे
कह जाते हैं बहुत कुछ शब्दों के बिना !!
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