यादें


उस समय का कुछ याद है कुछ बिखर सा गया है  
समय के साथ साथ कुछ  धुंधला सा गया है !!

वो चेहरा और उस चेहरे पर वो मुस्कराहट
गालों पर पड़ने वाले वो गढ़े और आँखों की चमक
उसके बालों की लटें और उसकी हंसी की खनक !
उसके हाथों का मलमली होने का आभास
गरम सांसों की खुशबु और नरम होठों की मिठास
कंपकपाते बदन का अपने आप में सिमट जाना
और गले से निकलती हिचकी कि आवाज़ !!
रंगीन कागज़ों पर लिखी उसके दिल की तड़प
ग़ज़लों और गानों में गूंजते हमारे अरमान
पटरी बाज़ार से खरीदी वो सस्ती सी अंगूठी
एकसाथ खाई चॉकलेट का वो कागज़ !!
कल्पनाओं में बसाय वो गृहस्ती के सामान
बच्चों के नाम और पर्दों दीवारों के रंग
कभी न लड़ने की कसमें और मुस्कुराने के वादे
कुर्ते में टांका वो बटन और गुलाब का वो फूल !!
दूरियों में भी करीब होने का एहसास दिलाते वो ख़त
ज़िन्दगी की मजबूरियों से हारते मेरे हालात
अपनी नाकामी का इलज़ाम उसके नाम
उसके टूटे दिल से निकले हुए वो अलफ़ाज़ !!
उसे खो कर उन लम्हों की खामोशियाँ
कसक से चीखों और फिर आंसुओं तक का मेरा सफ़र
हर राह हर मंज़िल हर जगह उसे ढूंढ़ती मेरी आँखें
उसकी हर निशानी लौटा देने का मलाल !!

उस समय का कुछ याद है कुछ बिखर सा गया है  
समय के साथ साथ कुछ  धुंधला सा गया है !!


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