तुम पर मरते हैं

मैं शराबी तो न था कभी पर देखी जो तुम्हारी आँखों की मस्ती
कदम बहक जाते हैं मेरे ऐसा अक्सर लोग कहते हैं !

होली पर उड़ता है गुलाल चित्रकार की कूची पर भी है रंग
असली लाल रंग तो मगर सिर्फ तुम्हारे गालों पर रहते हैं !

रंग बिरंगे फूल बहुत देखे पर कोई भी रास न आया
इन गुलाबी नाज़ुक होठों पर हमेशा कमल के फूल जो खिले रहते हैं !

पतली उँगलियों ने किया जादू भूल गए हम सभी की बाहें
हाथों में हाथ रखे रहना हमारे सिर्फ इसी अरमान पे जीते हैं !

कितने ही बदन थिरकते हैं यहां तुम्हारी कंचन काया का कहाँ जवाब
तुम, तुम और बस तुम सिर्फ यही तमन्ना करते हैं !

सब को देख लिया सब को परख लिया  कोई मन का मीत न  मिला
तुम्हारी सुरीली आवाज़ पर हुए फ़िदा सिर्फ तुम पर मरते हैं !!

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