सुनो ऐ सनम

सुनो ऐ सनम
चलते चलते जिस मुकाम पे
आ गए हैं आज हम
क्या यही चाहा था हमने
क्या इसी के ख्वाहिशमंद थे हम
सुनो ऐ सनम !

हम ने तो सोचा था की तुम होगी
हम होंगे और होगा हमारा घर
वक़्त ने क्या दिखाए करिश्मे
न तुम तुम रहे न हम हम
सुनो ऐ सनम !

तुम नज़र से दूर क्या हुए
हमें दिल से दूर कर दिया
तुम फासले बढ़ाते गए
खाइयां पाटते रहे हम
सुनो ऐ सनम !

मिलने की तुमसे हसरत थी बहुत
दिल के हालात सुनाने थे हमें
कभी मौका न मिला गर मिला भी
तो कुछ कह न सके हम
सुनो ऐ सनम !

ज़िन्दगी के लिए कुछ करना ज़रूरी है
मरने के लिए जीना ज़रूरी है
कस्मे वादे प्यार वफ़ा मेहबूब और
कलम छोड़ बन्दूक उठा चले हम
सुनो ऐ सनम !

आखिरी ख्वाहिश पूरी हुई
तुमसे मुलाक़ात भी हुई ज़रूर
आँखों की भाषा समझे हो तो है
ज़बान से तो कुछ कह न सके हम
सुनो ऐ सनम !

आज जब चले हैं हम आखिरी मंज़र की ओर
डोला उठता दिख रहा है तुम्हारा
कभी हो सके तो मुड़ कर देख लेना
शहीदों में नाम लिखा रहे होंगे हम
सुनो ऐ सनम !!








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