कौन है वोह

अनजानी सी है यह धड़कन फिर भी बहुत प्यारी सी लग रही है
कौन है वोह जिसने चुरा लिया है मेरे दिल से मेरी धड़कनो को !

अच्छा लगने लगा है हर शख्स हर शिकवा शिकायत मिट गयी है
कौन है वोह जिसने बदल दिया है खुशियों से मेरे ग़म के ख़ज़ाने को !

पड़ते नहीं हैं कदम ज़मीन पर होठों पे हंसी खिली रहती है
कौन है वोह जिसने सोख लिया है लबों से मेरी आँखों के हर अश्क को !

एक खुशबू सी फैल जाती है यूँ फिज़ाओं में ताज़गी सी आ गयी है
कौन है वोह जिसने बना दिया है गुलशन मेरी ज़िन्दगी के वीराने को !

तुम ही तुम दिखती हो अब तो डूब गया हूँ तुम्हारे प्यार की झील में
तुम ही तो हो वोह  जिसने खरीद लिया है प्यार से मेरे जिस्म ओ जान को !! 

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