सूखा पेड़

लगाया था जिस माली ने वोह भी,
छोड़ गया इस दुनिया में अकेला मुझे!
किस किस को मनाऊँ मैं,
मुझसे तो ज़िन्दगी भी रूठी है!!

कच्चे पौधे से तना बनने तक,
साथ दिया है सिर्फ मिट्टी ने मेरा!
वरना तो इस मतलबपरसत दुनियाँ में,
लोगों की हमदर्दी भी झूठी है!!

दोस्तों की बेवफाई,
अपनों की बेरुखी क्या सुनाएँ!
यहाँ तो ऐसे मौसम आये हैं,
जब अपनी पत्तियों ने ड़ाल छोड़ी है!!

जब भी लिया सहारा दूसरों का,
अपनी ही मिट्टी ने झिंझोड़ा है मेरी जड़ों को!
दूसरों का सहारा तो क्या मिलता,
मेरी जड़ें ही हुई ढीली हैं!!

अपनी किस्मत ही कुछ ऐसी है,
तना काट देते तो चैन हो जाता!
पर अच्छाई का नाम लेकर दुनियाँ ने,
कभी यह तो कभी वो ड़ाल काटी है!!

कहते हैं बरसात के आने से,
कटी हुई ड़ाल फिर से बढ़ जाती है!
किस्मत की मार तो देखिये,
यहाँ तो बरसात में ही ड़ाल टूटी है!!

जन्म से लेकर आज तक,
कभी फला ही नहीं हूँ मैं!
जब कभी फलना चाहा,
किस्मत की मार पड़ी है!!

सुखा पेड़ किसी काम का नहीं,
बोझ होता है इस धरती पर!
देखना तो अब यह है कि,
मुझ पर बिजली कब गिरती है!!

Comments

  1. sukha ped bhi kaam atta hae,
    kisi garib ke chuleh ki aag jaltaa hae.
    sukha ped bhi kaam aatta hae,
    kisi shilpkaar ki kalpnaa ban jaata hae.
    Sukha ped bhi kaam aatta hae,
    aatma ko parmatmaa se miltaa hae

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