शब्द और ख़ामोशी

जब भी करनी हुई कोई बात
मैं खामोश ही रह गया!
जब भी खामोश रहना चाहा
दिल की परतें उतर गयीं!!

होंठ फरफरा कर भी
कुछ कह न सके!
आंखें चुप रह करके भी
बहुत कुछ बोल गयीं!!

जो कहा वोह सुना नहीं
जो सुना वोह कहा नहीं!
इस कहने सुनने में
शब्द खो गए ख़ामोशी दब गयी!!

आँखों ने आँखों से कह दिया
खामोश रहो शब्दों को डूबने दो!
शब्द ख़ामोशी में तेरते रहे
शब्दों की ख़ामोशी दिल में उतर गयी!!

शब्दों और ख़ामोशी के बीच
फासला कुछ इतना था
कि शब्द और ख़ामोशी में
मुझे कोई फर्क मालूम न हुआ!!

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