क्या यह इश्क़ है

हैं अपने सभी आस पास
मिली सब खुशियां और सब का ऐतबार
यार दोस्त घर और शरीक-ए -हयात
मगर फिर भी न जाने क्यों थी किसी की दरकार
चैन में भी बेचैनी और कहीं किसी का इंतज़ार
खूबसूरत पलों में भी था एक साया आसपास
कतरा कतरा जिया था हर उम्र के संग-ए- मील को
बे-फ़िक्र उड़ने का रहा लेकिन एक अधूरा ख्वाब
खुदा की नेमत से मिले तुम और शुरू हुआ   
कुछ नए कुछ पुराने ख्यालों का सिलसिला
ज़माने से दफन ज़िंदा होते सभी अरमान
अंगड़ाई ले कर जागती कुछ यादें 
ज़बरन ज़ुबान पर आते भूले हुए नग्मे
अपने ही बदन से आती हुई यह नयी खुशबू
हर शह हर वक़्त तेरे नज़दीक होने का एहसास
वो राहें वो मकान वो दरख़्त जहाँ से शुरू हुआ था सफर
लौट कर वहीँ पहुँच जाने पर वो हैरत भरी मुस्कराहट
दूर कहीं से पुकारते दो अजनबी
जो शायद हम ही हैं उन दिनों की तस्वीर
खींच रहे हैं दिल के तार
पुराने रिश्तों को नयी निगाह से देखते
नए रिश्तों को पुराना जामा पहनाते हुए
अजीब कश्मकश सी है पर है सुकून भरी
गुदगुदा रही है हर लम्हा
और बुन रही है एक नयी दास्तान 
यह इश्क़ नहीं तो और क्या है ?

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