पापा

चलते चलते जीवन के टेढ़े मेढे रास्तों पर
जब कभी गिरूं तो सम्भाल लेंगे वोह।
डर लगे अंधेरों से या अपनी ही असफलता से
तो गले लगा प्यार कर लेंगे वोह।
पढाई में सवाल न आये या हो ज़रूरत पैसे की
तो मेरे कंधे पर हाथ रख देंगे वोह।
कोई हो न हो मेरे साथ मेरी खुशियों में मेरे ग़म में
परछाई की तरह हमेशा मेरे साथ होंगे वोह।
ऐसे ही एहसास लिए सोचता हूँ हमेशा
ऐसे ही शायद होते होंगे वोह - पापा।।

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