मैं घर आऊँगा
मैं घर आऊँगा
इन जंगलों की बरसाती उमस में
रेगिस्तान की तपती रेत की गर्मी में
बर्फीले पहाड़ो की सर्द हवाओं में
अपना फ़र्ज़ निभा कर मैं घर आऊँगा !
पिछली छुट्टी पर किया था निश्चय
कि अगली बार घर की नयी छत बनवाऊंगा
छुटकी के दहेज़ के लिए प्रोविडेंट फण्ड से पैसा निकाल लाऊंगा
बाबूजी को इलाज के लिए हस्पताल ले जाऊंगा
अपने सब इरादों को पूरा करने मैं घर आऊँगा!
रात को चौकी पर पहरे पर खड़े हुए
या फिर घात लगाकर दुश्मन के इंतज़ार में
आतंकवादी का पीछा करते या फिर उनकी गोली का जवाब देते हुए
हर बार मैं खुद से कहता हूँ चाहे कुछ हो जाये मैं घर आऊँगा !
अबकी बार मुझे छुट्टी मिलेगी या नहीं
आज रात के पेट्रोलिंग के बाद मुझमे सांस होगी या नहीं
अगले हफ्ते ट्रेन में बैठकर आऊंगा या तिरंगे में लिपट कर पता नहीं
पर यह वादा है तुमसे मेरा - एक फौजी का वादा
मैं घर आऊँगा
एक दिन मैं घर आऊँगा!!
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