मेरा पहला प्यार
वोह थी मेरा पहला प्यार पहली बार आँखें उसे देखती ही रह गयीं होंठ कुछ कह न पाए पर मेरी नज़र भर गयी कितना अच्छा लगता था उसके गले लग कर चुमते ही गाल किलकारियां निकलती थी मेरे मुहं से अपने हाथों से उसने खिलाया कई बार हर दर्द को सहा बराबर मेरे साथ हर ख़ुशी में साथ थी वोह मेरे वोह थी मेरा पहला प्यार . आज जब वोह मेरे साथ नहीं है सीने से लगने की प्यास बड़ी है कहाँ से लाऊं वोह एहसास वोह मुस्कान मेरे आंसूं पोंछ ले ऐसे हाथ मेरी खुशिओं पर मुझे चूमे मेरी गलतियों पर टोके . हर प्यार से पहले वो ही थी मेरी हर तदबीर में वो ही थी दे दे कोई मेरी माँ मुझे वापस ले ले मुझसे ज़माने की हर नियामत वोही थी तो थी मेरा पहला प्यार।