जब कभी देखता हूँ सूरज को निकलते हुए, मुझे तुम याद आती हो ! जब कभी सूरज ढलता है, मुझे तुम याद आती हो !! तन जलने लगता है विरह में , मन बिखर बिखर जाता है ! कोई फुसफुसाता है एक नाम कानों में, और सब्र का प्याला छलक जाता है !! जब भी कोई बादल बरसता है मुझे तुम याद आती हो ! जब कभी सूरज ढलता है मुझे तुम याद आती हो !! कब मिला दे कब जुदा कर दे, कौन जानता है बातें किस्मत की ! मिल कर बिछड़ना , बिछड़ कर मिलना, यही तो रीत है दुनिया की !! जब भी देखता हूँ दो पंछी बिछड़ते हुए मुझे तुम याद आती हो ! जब कभी सूरज ढलता है मुझे तुम याद आती हो !! हार कर गिरते हुए को तुमने ही जीवन की राह दिखाई थी ! तुम्हारा चाँद दिनों का साथ मानो पतझर में बहार आई थी !! जब कभी बैठता हूँ किसी पेड़ की छाओं में मुझे तुम याद आती हो ! जब कभी सूरज ढलता है मुझे तुम याद आती हो !! जब कभी देखता हूँ सूरज को निकलते हुए, मुझे तुम याद आती हो ! जब कभी सूरज ढलता है, मुझे तुम याद आती हो !!