तन्हा
मैं तन्हा , मेरा दिल तन्हा, मेरी ज़िन्दगी तन्हा याद किसी की कर गयी मेरी शाम तनहा तन्हा . अनकही मेरी बातें हो गयीं खुद तन्हा कसक पैदा कर हो गयीं मेरी आहें भी तन्हा पलक से जो गिरे अश्क वोह भी गिरे तन्हा तन्हा . मुहब्बत का साज़ छेड़कर कर दिया मेरा गीत तन्हा कहकहो में हो गयी मेरी मुस्कराहट तन्हा महफ़िल में बैठकर कह रहा हूँ मैं ये शेर तन्हा तन्हा . कभी गिरा कभी उठा रहता आया हूँ मैं तन्हा बेवफाइयों से टकरा कर हो गयी मेरी वफ़ा तन्हा कहीं मेरे साथ हो न जाएँ तन्हाईयाँ तन्हा तन्हा .