बीता वक़्त
इंतज़ार का दायरा दरवाज़े से गली के मोड़ तक बेकरारी की इन्तहा तेज़ साँसों से आँखों की नमी तक मोहब्बत का इज़हार मेरी नज़रों से उसके दिल तक उसकी हया सुर्ख गालों से होते हुए हसीं लबों तक झुक कर तस्लीम उसके अंदाज़े बयां से हम तक जवान हुए हमें एक ज़माना बीत गया !